सामाजिक

व्यंग्य – ईवीएम का करैक्टर ढीला है ! 

काश ! गुजरात और हिमाचल प्रदेश में हारी कांग्रेस के लिए हम यह कह पाते – इतना भी गुमान न कर अपनी जीत पर “ऐ बेखबर” शहर में तेरे जीत से ज्यादा चर्चे तो मेरी हार के हैं। लेकिन कांग्रेस ने हमें यह कहने के लायक भी नहीं छोड़ा। अब तो कांग्रेस को मौका-ए-वारदात पर यह ही कहना चाहिए कि हमें तो हारने की आदत है। हम हारते है तभी तो बीजेपी जीतती है। सोचो ! यदि हम नहीं हारते तो बीजेपी कैसे जीतती? यकीकन ! बीजेपी की इस बड़ी जीत में कांग्रेस पार्टी का महत्वपूर्ण योगदान जनता को नहीं भूलना चाहिए। जनता को हमारी मेहनत को ताना न देकर हमें मेहनताना देना चाहिए। हमने दोनों राज्यों में चुनाव जीतने के लिए क्या कुछ नहीं किया? हमारे पार्टी के नवचयनित नवशिशु अध्यक्ष राहुल जी ने मंदिर-मंदिर जाकर भगवान जी को भी खूब मस्का लगाया पर शायद मस्का का तड़का सही लग नहीं पाया। किसी देवी के मंदिर में जाते तो दर्शन भी देती। जनेऊ तक धारण कर अपने को धार्मिक बताने का प्रयत्न किया, जो काबिले-तारीफ है। इसकी हम भूरी-भूरी प्रशंसा करते है। यानि आदमी जीतने के लिए रातोंरात नास्तिक से आस्तिक भी बन सकता है। जीत का जुनून भी आदमी को इंसान से शैतान और शैतान से इंसान बनाने की क्षमता रखता है। लेकिन, अफसोस जनेऊ की डोर भी जीत तक नहीं ले जा सकी। क्योंकि जनता अब दूध पीते बच्चे से कई ज्यादा बड़ी और शातिर हो चुकी है। इन छोटी-छोटी लॉलीपॉप से आप क्या सोचते है कि जीत जाएंगे ? क्योंकि आजकल तो सौ रूपये में ट्रैफिक हवलदार तक नहीं मानते तो यह तो पक्की गुजरात की गाठिया खायी हुई जनता है जनाब ! कैसे मान जाती ? हालांकि ये सच है कि जनता प्रतिनिधि के रूप में छिपे गुंडे को पहचान में सत्तर साल से मात खाती आ रही है। इसका मतलब यह भी तो नहीं होता कि आप खुलेआम गुंडागर्दी पर उतर जाएं। और किसी लोकतांत्रिक मुल्क के अतिलोकप्रिय प्रधानमंत्री को नीच तक कह दे। हुजूर ! नीचता ने नीचा दिखा दिया ना ! अय्यर बाबू ये भूल गये कि किसी पर अंगुली करने पर बाकि की तीन अंगुली खुद की ओर ही होती है। अय्यर साहब आपको भी चुनाव तक तो बाकि नेताओं की तरह कम से कम अपनी शराफत बचाकर ही रखनी चाहिए थी। खैर ! आप तो माने नहीं। इसलिए मिली आपको करारी हार। अब इसे करो खुशी-खुशी स्वीकार। लेकिन यूं कैसे सीधे-सीधे अपनी हार स्वीकार कर दे भला ! अभी तक ईवीएम के चरित्र को हमने बराबर से कलंकित भी तो नहीं किया है। सारी गलती इस ईवीएम की है। पाटीदारों के नेता हार्दिक पटेल ने सीधा निशाना ईवीएम के चरित्र पर ही साध दिया। तो ईवीएम भी कहां चुप बैठने वाला था और तुरंत बोला – हुजूर ! चुनाव के समय में सीडी आपकी रिलीज हो और करैक्टर हमारा ढीला बताते हो। नीयत तो आपकी खराब और घूंघट में हमें रखना चाहते हो। कम से कम तुम तो हमारे चरित्र पर सवाल ना उठाओ तो ही ठीक है। अच्छा तो यही रहेगा कि तुम हार को स्वीकार करो। कहां कमी रह गयी सुधार करो। नाचना सीखो आंगन को कब तक टेढ़ा बताकर बचते रहोगे जनाब ? आपकी हार में जीत यह है कि आप हार को गले लगा लो। इससे हार का अकेलापन भी दूर होगा और आपके लिए यह हार अगले समय जीतने में मददगार भी होगी। क्योंकि बाबूमोशाय बड़े-बड़े चुनावों में छोटी-छोटी हार-जीत तो होती रहती है।

देवेन्द्रराज सुथार

देवेन्द्रराज सुथार , अध्ययन -कला संकाय में द्वितीय वर्ष, रचनाएं - विभिन्न हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। पता - गांधी चौक, आतमणावास, बागरा, जिला-जालोर, राजस्थान। पिन कोड - 343025 मोबाईल नंबर - 8101777196 ईमेल - [email protected]