बुरा न बोलो बोल रे..
बुरा न बोलो बोल रे..
..आनन्द विश्वास
बुरा न देखो, बुरा सुनो ना, बुरा न बोलो बोल रे,
वाणी में मिसरी तो घोलो, बोल बोल को तोल रे।
मानव मर जाता है लेकिन,
शब्द कभी ना मरता है।
शब्द-वाण से आहत मन का,
घाव कभी ना भरता है।
सौ-सो बार सोचकर बोलो, बात यही अनमोल रे,
बुरा न देखो, बुरा सुनो ना, बुरा न बोलो बोल रे।
पांचाली के शब्द-वाण से,
कुरुक्षेत्र रंग लाल हुआ,
जंगल-जंगल भटके पाण्डव,
चीर-हरण क्या हाल हुआ।
बोल सको तो अच्छा बोलो,वर्ना मुँह मत खोल रे,
बुरा न देखो, बुरा सुनो ना, बुरा न बोलो बोल रे।
जो देखोगे और सुनोगे,
वैसा ही मन हो जाएगा,
अच्छी बातें, अच्छा दर्शन,
जीवन निर्मल हो जाएगा।
अच्छा मन,सबसे अच्छा धन,मनवा जरा टटोल रे,
बुरा न देखो, बुरा सुनो ना, बुरा न बोलो बोल रे।
कोयल बोले मीठी वाणी,
कानों में रस घोले है,
पिहु-पिहु मन-मोर नाँचता,
सबके मन को मोहे है।
खट्टी अमियाँ खाकर मिट्ठू, मीठा-मीठा बोल रे,
बुरा न देखो, बुरा सुनो ना, बुरा न बोलो बोल रे।
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