नया साल
बीता साल पुराना यारा
आया नया जमाना यारा
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कदम कदम पर इम्तहान हैं
अपनी अकल लगाना यारा
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सोच समझ लेना पहले फिर
आगे पाँव बढ़ाना यारा
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मुश्किल वक्त में कभी हार कर
आँसू नहीं बहाना यारा
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नए साल में पिछली गल्ती
फिर से मत दोहराना यारा
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रूठे जब कोई अपना तो
पहले उसे मनाना यारा
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नहीं मिलेगा जीवन फिर से
पूरा लुत्फ़ उठाना यारा
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फ़र्ज़ निभाना आगे बढ़कर
नज़रें नहीं चुराना यारा
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ज्यादा लालच बहुत बुरा है
धन संतोष कमाना यारा
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ऊपर अंबर नीचे धरती
अच्छा यही ठिकाना यारा
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रमा बताये बात पते की
इनको भूल न जाना यारा
रमा प्रवीर वर्मा
नागपुर,महाराष्ट्र
रमा जी कविता ने अत्यधिक प्रभावित किया ।
यह बहुत ही सारगर्भित एवं अनुकरणीय है ।
शशिकांत त्रिपाठी
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय शशि कान्त त्रिपाठी जी