कहानी – कर्नल सा’ब
धरमिंदर शर्मा एक गरीब परिवार से थे । परिवार में पांच भाई थे । पिता गुलाम भारत के अंग्रेजी राज्य में सेना में सिपाही थे । परिवार के थोड़े से वेतन में सात सदस्यों का गुजारा बड़ी मुश्किल से होता था ।
धरमिंदर के सभी भाई पढ़ने में होशियार थे । सरकारी स्कूलों में पढ़कर सभी ने अच्छे अंकों से मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली ।
धरमिंदर कभी कभी खाने का टिफ़िन लेकर अपने पिता को पहुंचाने उनकी पोस्ट पर जाता था । वह देखता कि उसके पिता अंग्रेज अफसर के घर उसके छोटे मोठे काम भी करते जैसे फर्नीचर साफ़ करना, पानी भरना, अफसर के बूट पोलिश करना इत्यादि । जब भी कोई वर्दीधारी सैनिक या अफसर वहां से गुजरता, उसके पिता जल्दी से खड़े होकर उसे सैलूट करते थे । वह बड़ी हसरत से उन लोगों को देखता, सोचता नौकरी हो तो ऐसी, कि ऐसी इज्जत मिले ।
सब भाई मैट्रिक पास करने के बाद छोटा मोटा काम करने लगे थे । देश आजाद हो गया । धरमिंदर ने मैट्रिक में एडमिशन लिया, भाईयों ने भी सोचा यदि कुछ और पढ़ लेंगें तो अच्छा काम मिल जाएगा । सभी भाईयों ने ग्रेजुएशन तक पढ़ाई कर ली । सभी भाई कोई बैंक में अफसर, कोई स्कूल में प्राचार्य, कोई कॉलेज में लेक्चरर हो गया । धरमिंदर देखता कि उनके भाई नौकरियां तो अच्छी करते हैं पर उन्हें वैसे सैलूट नहीं मिलते जैसे उसके पिता अपने अफसरों को किया करते थे ।
बीएससी करने के बाद उन्होंने सेना में अफसर बनने के लिए एसएसबी में निवेदन किया । उनका सिलेक्शन हो गया और उन्हें ट्रेनिंग के लिए भेज दिया गया ।
जब ट्रेनिंग के बाद वो अफसर बने तो जिंदगी में उसे सबसे अधिक जो चीज अच्छी लगती थी वो थी, सिपाहियों का उसे सैलूट मारना । जब उन्हें उसके सैनिक सा’ब सा’ब करते तो उसकी गर्दन तन जाती और सीना गर्व से फूल जाता । उनका प्रमोशन होते होते वो मेजर हो गए ।
एक मध्यम घर की लड़की से उन्होंने शादी कर ली । लड़की बीएससी तक पढ़ी थी । मेजर सा’ब जब अपनी बीवी को लेकर जीप से कहीं जाते तो रास्ते में जब कोई सैनिक उन्हें सैलूट मारता तो वो तिरछी नजर से बीवी की ओर देखते कि उसकी क्या प्रतिक्रिया है । मेजर सा’ब के घर एक लड़का भी हुआ ।
मेजर सा’ब अब लेफ्टिनेंट कर्नल बन गए । उनका ट्रांसफर उनके मायके वाले शहर में हो गया । मेजर सा’ब के ससुराल वाले बहुत गर्व से अपने मित्रो पड़ोसियों को बताते कि हमारा दामाद सेना का बड़ा अफसर है, पर कर्नल साहब अपने ससुराल वालों के किसी सदस्य के अपने घर आने पर असहज महसूस करते । यदि उस समय उनका कोई अफसर मित्र उनके घर आ जाए तो वो लज्जित महसूस करते । उन्होंने अपने सास ससुर से कह दिया कि यदि कोई मेरा मित्र आये तो आप लोग एक कमरे में चले जाया करें उनके सामने न आया करें ।
कर्नल सा’ब का साला महिंदर, उसी शहर में एक प्राइवेट संस्थान में केमिकल इंजीनियर था । वह बहुत सीधा सादा, अपने कर्मचारियों से दोस्ताना व्यवहार करने वाला था । कर्नल सा’ब जब कभी अपनी बीवी को उसके ससुराल छोड़ने आते और अपने साले को उसके मित्रो जिसमें उसके कर्मचारी भी होते के साथ देखता तो सोचते यह झूठ बोलता है की इंजीनियर है यह तो कोई छोटा मोटा काम करता है ।
कर्नल सा’ब का साला कभी कभी उनके घर आता, अपने भांजे को अपने साथ ले जाता । वह उसे घुमाता फिराता खूब खिलाता पिलाता । एक दिन जब महिंदर, अपने भांजे को अपनी बहन के घर से लेकर अपने घर आया तो भांजा कहने लगा, मामा जी आप रिश्वत लेते हो । महिंदर को सुनकर बहुत सदमा लगा, वह तो अपने काम पर एक ईमानदार के रूप में मशहूर था । उन्होंने भांजे से पूछा तुम्हें किसने कहा तो कहने लगा मम्मी पापा बात कर रहे थे, मैंने सुना, वरना इतने पैसे कौन किसी पर खर्च करता है ।
एक दिन महिंदर अपने एक मित्र के साथ उनके घर के सामने से गुजर रहा था । उसने सोच चलो अपनी बहन से मिलता चलूँ । दरवाजे पर आकर उसने दरवाजा खटखटाया। कर्नल सा’ब ने दरवाजा खोला । महिंदर को उसके मित्र के साथ देख उनकी भौंहें तन गयी । “कहो कैसे आना हुआ” कर्नल सा’ब ने पूछा । “इधर से निकल रहा था सोच मिलता चलूँ” महिंदर ने कहा । “अच्छा रुको, मैं अभी आया” कहकर कर्नल सा’ब ने उन्हें वहीँ दरवाजे पर खड़ा रखा । थोड़ी देर बाद उनका अर्दली (सिपाही) कुर्सियां लेकर बाहर ही आ गया । जीजा का व्यवहार देख महिंदर का मन उचट गया था पर रिश्ते को ध्यान कर कुछ बोला नहीं और कुछ देर में उठकर चला गया ।
कुछ दिन बाद महिंदर की माँ ने पूछा “क्या बात है, कई दिन से तू अपनी बहन के घर नहीं गया” ? अपनी माँ को उसने पूरी बात बताई । माँ ने कहा हाँ, तेरी बहन बता रही थी की उसका पति कहता है “हम लोग मिलिट्री में हैं और सिविलियन को घर के ड्राइंग रूम में नहीं बिठाना चाहिए”
एक दिन कर्नल सा’ब रिटायर भी हो गए । पंजाब के लुधिआना शहर में अपना एक बंगला बनवाया था उसी में आकर रहने लगे । घर में माली फूल-पौधे लगा जाता, पानी दे जाता, कार धोने वाला कार धोने आता । बर्तन धोने वाली झाड़ू पोंछे वाली आती । सभी बात बात में उन्हें कर्नल सा’ब कर्नल सा’ब ही करते । पोस्ट ऑफिस या बैंक जाते वहां भी सभी कर्नल सा’ब कर्नल सा’ब करते । यदि कभी माली या कार धोने वाला घर आकर पीने का पानी मांग लेता तो कर्नल सा’ब को अपने हाथ से उसे पानी का गिलास देने में अपनी तौहीन लगती ।
कभी यदि पत्नी कहती की आज बहुत ठण्ड है, इसे चाय बना कर न पिला दें, तो कर्नल सा’ब कहते हम इनके नौकर नहीं हैं यह हमारे नौकर हैं हम क्यों इन्हें चाय बना के दें ?
कर्नल सा’ब को अभी भी लगता वो कर्नल हैं । महिंदर अपनी बहन से मिलने उनके घर आया हुआ था, ड्राइंग रूम में बैठा चाय पी रहा था । इतने में कर्नल सा’ब का माली फटी कमीज, फटा जूता पहने दरवाजे के बाहर आया और पूछने लगा कर्नल साब कहाँ हैं ? महिंदर ने कहा “बताओ क्या काम है कर्नल सा’ब तो काफी देर के बाद आयेंगें”। माली : ‘मेरे जूते फट गए हैं, इनमें ठण्ड लगती है, कुछ पैसे एडवांस में मिल जाते तो……..। महिंदर : ‘रुको मैं अभी आता हूँ ‘ । अपने नए जूते हाथ में लेकर महिंदर अंदर से आया “यह जूते पहनो, देखो तुम्हारे पैर में ठीक आते हैं क्या” ? अच्छा मैं पहन कर देखता हूँ, कहकर वो वहीँ जमीन पर बैठने लगा । अरे जमीन पर क्यों, अंदर आओ, यहां कुर्सी पर बैठ कर जूते पहनो, कहते हुए महिंदर ने उसे जबरदस्ती पकड़ कर कुर्सी पर बैठा दिया ।
इतने में कर्नल सा’ब ने घर में प्रवेश किया, सामने का दृश्य देखकर उनका चेहरा तमतमा गया । ‘महिंदर, तेरी ये मजाल कि एक कर्नल के घर में एक नौकर को कुर्सी पर बिठाये’ ? महिंदर को भी गुस्सा आ गया ‘जीजा जी आप भूल रहे हैं, आपके पिता जी भी एक अंग्रेज के नौकर थे, बचपन में आपकी भी हालत इस जैसी थी ।
आप कर्नल की नौकरी कुछ काल के लिए करते थे, पर आप तो घर आकर भी कर्नल बने रहते थे । पर अब तो आपके शरीर से आपकी वर्दी भी उतर गयी पर पर आपकी आत्मा से अभी भी आपकी वर्दी नहीं उतरी, आपकी आत्मा ने अभी भी वर्दी पहन रखी है । इस भ्रम में न रहिये की आप कर्नल हैं । आप कर्नल नहीं सिर्फ एक इंसान हैं । आपको कर्नल के पद पर रखकर आपसे कर्नल का काम लिया जाता था । जिस दिन से आप रिटायर हुए आप भी सिविलियन, एक साधारण इंसान हो गए हैं ।
उस रात कर्नल सा’ब ठीक से सो न सके । सपने में भी देखा कि भिखारी बने फटे कपड़ों में सड़कों पर घूम रहे हैं । सुबह उठे तो शरीर पसीने पसीने हो रहा था । उन्हें अपने आप में एक इंसान नजर आ रहा था, कर्नल नहीं । बर्तन धोने वाली आ चुकी थी, “कर्नल सा’ब एक कप चाय बना लाऊँ आपके लिए“? “नहीं नहीं, चाय तो आज मैं तुम्हें अपने हाथ से बनाकर पिलाऊंगा” कर्नल सा’ब ने रोबदार आवाज में कहा ।
आदरणीय गुरमेल जी, आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद । कभी कभी साहित्य
सुधा खोल कर पढता हूँ आपके बारे जानकार बहुत ख़ुशी हुई आप टॉप १० में आये है. बहुत
बहुत बधाई ।
बहुत ही सुन्दर कहानी रवेंदर भाई . कर्नल साहब तो ऐसे हो गए थे जैसे पंजाबी में कहते हैं, भूखे जाट कटोरा ल्भा, पानी पी पी आफरिया, अर्थात किसी गरीब जात को कौली मिल गई और अब वोह उस में पानी डाल डाल कर लगातार पी ही जा रहा था, पानी से उस का पेट फूल गिया लेकिन क्योंकि उस को कौली जो मिल गई थी जो उस ने जिंदगी भर ली नहीं थी क्योंकि गरीबी थी . अब यही मामला कर्नल साहब के साथ था, पिता को सैलूट मारते देखते थे और अब वोह कर्नल बन गिया था, सैलिऊट की औब्सैशन हो गई थी लेकिन साले साहब ने उस को सबक सिखा दिया था .बहुत अछि कहानी लगी .