हास्य व्यंग्य

व्यंग्य – राजनीति और रजनीकांत 

इंग्लैंड के प्रधानमंत्री डिजरायली ने कहा था – ”राजनीति के समान कोई दूसरा जुआ नहीं है।“ इस तर्ज पर कहे तो सारे राजनेता एक नंबर के जुआरी हैं ! डिजरायली तो बड़े अच्छे व्यक्ति थे जिन्होंने राजनीति को सिर्फ़ जुआ ही कहा ! बाकि हमारे यहां तो राजनीति की तुलना यदि कुत्ते से भी कर ली जाएं तो कुत्ता भी इसके विरोध में भौंक-भौंक कर पूरे गली को सिर पर उठा लेता है। क्योंकि कुत्ता अपनी वफादारी के लिए प्रसिद्ध है। और राजनेता बे-वफादारी के लिए मशहूर हैं। भारत में ज्यों-ज्यों आजादी के साल बढ़ते गए त्यों-त्यों राजनीति में राज और नीति के बीच की दूरी बढ़ती गई। अब तो राज के लिए सब अनीति का खेल है। यह अनीति और लूट का खेल आखिर कब तक सुपर-डुपर हीरो देखता रहता। इसलिए सुपर हीरो रजनीकांत ने राजनीति में आने का ऐलान कर दिया। इस एग्रीमेंट के साथ कि यदि तीन साल में उनके द्वारा किये गये वायदे पूरे नहीं हुए तो वे इस्तीफा दे देंगे। ऐसा एग्रीमेंट यदि हर नेता कर दे तो राजनीति से देश का कुछ भला हो सकता हैं। लेकिन कौन राजनेता होगा जो खुद का भला छोड़कर देश का भला करना चाहेगा ? आपने क्या हमारे नेताओं को बच्चा समझ रक्खा हैं ?
एक कारपेंटर से कुली और एक कुली से बस कंडक्टर और एक बस कंडक्टर से सुपर स्टार बनने वाले रजनीकांत अब सुपर स्टार से एक राजनेता बन जाएंगे। इतने दिनों फिल्मों में हीरोगिरी करते थे, अब रियल लाईफ में भी हीरोगिरी करते नजर आएंगे है। साउथ की जनता पर रजनी के अभिनय का ऐसा जादू हैं कि वे उन्हें भगवान की तरह पूजती हैं। इससे ही उनकी विजय का अनुमान लगया जा सकता है। जब राजनीति में अंगूठा छाप भी जीतते आए हैं, तो रजनीकांत जैसा सुपर स्टार कैसे नहीं जीतेंगा ? वैसे भी भारत की राजनीति की रेल तो वायदों की पटरी पर दौड़ती हैं। वायदों की बुनियाद पर टिकी भारतीय राजनीति की रेल हर पांच साल बाद पटरी से उतर जाती हैं। और ये इतनी हिम्मत वाली हैं कि फिर नये वायदों के साथ पटरी पर चढ़ भी जाती हैं।
रजनी बाबू ! अच्छी बात है कि आप राजनीति में प्रवेश कर रहे है। हमारी नसीहत है कि सिस्टम को बदलने का कहकर खुद मत बदल जाना। राजनीति ने बहुतों को गिरगिट बनाकर छोड़ दिया हैं। जिससे बेचारे गिरगिटों के अस्तित्व को खतरा होने लग गया हैं। घोटालो को पराई स्त्री समझकर उससे दूर ही रहना। ऐसा न हो कि उन्हें अपनी फिल्म की हीरोइन समझकर शुरू हो जाओ पटाने के लिए। सिस्टम में लगे भ्रष्टाचार को अपनी फिल्म का विलेन समझकर मार गिराना। ध्यान रखना इस बात का, कि विकास नामक हीरोइन को यह विलेन कभी टस करने की हिम्मत न कर पाएं। अब तो इस विकास नामक हीरोइन की रक्षा और सुरक्षा दोनों की जिम्मेदारी आपके हाथ में है।
आशा करते है कि सुपरहिट फिल्मों वाला यह सुपर हीरो राजनीति की फिल्म में फ्लॉप नहीं जाएगा। यह तो कुछ करके ही दिखाएगा। फिर यह हीरो कहता भी तो है – “झुंड मे तो सुअर आते हैं और शेर अकेला ही आता है।” अब जब शेर ने एंट्री करने की ठान ही ली है तो राजनीति के सुअरों की खैर नहीं।

देवेन्द्रराज सुथार

देवेन्द्रराज सुथार , अध्ययन -कला संकाय में द्वितीय वर्ष, रचनाएं - विभिन्न हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। पता - गांधी चौक, आतमणावास, बागरा, जिला-जालोर, राजस्थान। पिन कोड - 343025 मोबाईल नंबर - 8101777196 ईमेल - [email protected]