कामना
- हर कोई कितने जन्मों में;
पाता है जीवन मानव का,
सब कष्टों को सहते सहमे;
पाता है जीवन मानव का,
कितने ही फिर भी बतलाते;
क्यों पाया??जीवन मानव का!
इतनी परीक्षा कठिन पार-कर;
जब पाया है जीवन -सुन्दर,
क्यों इतने कष्टों में डालते;
पार लगा-दो विनती सुनकर,
हे भगवन!हे सुख के सागर!
गले लगालो; हमको आकार।
करुनानिधान बस इतना करदे,
जग के सारे दुखड़े हर दे।
हाथ जोड़ हम करे आराधन,
सुख से भर दे सबका जीवन।
_________’धाकड़’ हरीश
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻