पुणे में जातिवादी हिंसा
आज पुणे में जातिवाद हिंसा हुई। जिसने अब पूरे महाराष्ट्र को चपेट में ले लिया। इसे समझने के लिए आइये इतिहास की और चले..
1 जनवरी 1818 अंग्रेजो और बाजीराव के बीच युद्ध हुआ…स्थान:- पुणे, भीमा गांव!! इस युद्ध मे दलितों ने बाजीराव के विरुद्ध अंग्रेजो का साथ दिया। युद्ध मे बाजीराव की हार हुई। ये युद्ध निर्णायक साबित हुआ। इस युद्ध के बाद मराठा शक्ति खत्म हो गई। अंग्रेजो के भारत पर शासन का मार्ग पूरी तरह खुल गया। मराठा भारत की अंतिम ताकतवर शक्ति थी। भारत पूरी तरह से गुलाम हो गया।
स्वतंत्र इतिहासकार मानते है, अगर दलितों ने अंग्रेजो का साथ न दिया होता तो आज भारत का इतिहास अलग होता। इस घटना ने भारत को 100 साल और गुलाम रहने पर मजबूर कर दिया।
दलित 1 जनवरी का जश्न इसी विजय की याद में #शौर्य_दिवस रूप में मनाते है। पुणे के भीमा गाँव मे ये गद्दारी का जश्न 200 साल से अनवरत जारी है। आजादी के बाद 70 सालो तक भी किसी ने इसे नही रोका। गद्दारी का ऐसा जश्न अन्यंत्र किसी आजाद देश मे शायद ही कही देखने को मिलता हो।
आश्चर्य की बात, अंग्रेजो के साथ दिए जाने पर, जिस घटना के लिए शर्म से पानी पानी हो जाना चाहिए। अपने पूर्वजों की गलती की माफी मांगते हुए, इसे पश्चाताप दिवस के रूप में मनाना चाहिए। लेकिन उल्टा निर्लज्जता पूर्वक इसे शौर्य दिवस के रूप में बनाया जाता रहा। और आज भी जारी है।
इस साल भी पुणे के भीमा गाँव में दलित और भीमटो का हुजूम जश्न मनाने को एकत्र हुआ। लेकिन कुछ राष्ट्रभक्तो को ये सहन हुआ। उन्होंने विरोध किया। बौद्ध धर्म अपना चुके अहिंसक भिमटे हिंसक हों गए। दलित भी गद्दारी जश्न मनाने से रोकने को शोषण मानकर हिंसक हो गए।
दोनो पक्षो की झड़प में एक कि जान जाते ही मामला भड़क गया अब धीरे धीरे पूरे महाराष्ट्र को चपेट में ले लिया। ये समझना और जानना अत्यंत आवश्यक है कि शुरुआत में ये जश्न सिर्फ सांकेतिक रूप से बनता था। कुछ लोगो द्वारा। लेकिन धीरे धीरे भीमटो और वामपंथियो के मिलन ने इसे व्रहत रूप दे दिया। कुछ लोगो द्वारा मनाया जाने वाला जश्न लाखो में बदल गया। जिसे सपोर्ट किया कांग्रेस और एनसीपी जैसी वोट की भूखी निर्लज्ज पार्टियों ने।
आईए अहिंसा के पुजारी, शान्ति के दूत , प्यार के पैगम्बर राहुल का बयान भी सुन लीजिए- ये हिंसा RSS और भाजपा की फांसीवादी सोच का परिणाम है। भाजपा, RSS दलित विरोधी है। ऊना , वेमुला के बाद पुणे। भाजपा शासन में दलितों का शोषण और अत्याचार होता है..
अब आप तय कीजिए राहुल का ये बयान शांतिपूर्ण है या हिंसक ?? ऐसे बयानों से मोहब्बत फैलती है या कटुता ?? दुसरो पर बाँटने का आरोप लगाने वाले राहुल क्या अब खुद लोगो को नही बाँट रहे ?? राहुल जी पहले ये बताओ क्या गद्दारो का जात, धर्म होता है ??
ये पूरा जश्न राम अठावले की पार्टी रिपब्लिकन द्वारा आयोजित किया गया। जो केंद्र में मंत्री है। अतः सवाल तो भाजपा से भी बनता है। राष्ट्रवादी सरकार के मंत्री की पार्टी गद्दारी के जश्न को ऑर्गनाइज करती है।
नोट- यहाँ सिर्फ उन्हीं लोगों को गद्दार कहा गया है जो इस गद्दार जश्न मनाने में शामिल हुए। हमारे लिए ये वैसे ही है, जैसे jnu में “अफज़ल हम शर्मिन्दा है” , आजादी आजादी नारे लगाने वाले गद्दार।
– युवा कवि राज सिंह