मोजू का हथौड़ा
तब भी दुश्मन ही जीता था , भारत माँ ही हारी थी
जीत नही थी वो भी तेरी, वो तेरी गद्दारी थी
दुश्मन जीता उसका तुम सब ,मिल कर के उल्लास करो
अमर शहीदों की कुर्बानी, का क्यो कह उपहास करो
दुश्मन के बाजू बन लड़ना , उस पर तुम को गर्व हुआ
भारत माँ हारी थी उनसे , वो दिन कैसे पर्व हुआ
वो भी भारत के बेटे थे, तुम भी इसके बेटे हो
ये कैसी नफरत की ज्वाला ,अपने हिये समेटे हो
देखो फिर से दुश्मन के ही ,तलवे तो मत चाटो तुम
आपस मे ही लड़ भिड़ कर के , भारत को मत बाँटो तुम
मनोज “मोजू”