कविता

कविता – इंसानियत

इंसान ने कहा कि मैं न्याय हूं

फिर इंसान ने कहा कि मै अन्याय हूं

अंत में इंसान ने कहा कि

आज किसी में इंसानियत नहीें ।

उधर ये सुनकर सभी पालतू जानवर

गाय, कुत्ता, बिल्ली, बकरी

इंसानों पर हंस रहे थे।

अभिषेक कांत पाण्डेय

हिंदी भाषा में परास्नातक, पत्रकारिता में परास्नातक, शिक्षा में स्नातक, डबल बीए (हिंदी संस्कृत राजनीति विज्ञान दर्शनशास्त्र प्राचीन इतिहास एवं अर्थशास्त्र में) । सम्मानित पत्र—पत्रिकाओं में पत्रकारिता का अनुभव एवं राजनैतिक, आर्थिक, शैक्षिक व सामाजिक विषयों पर लेखन कार्य। कविता, कहानी व समीक्षा लेखन। वर्तमान में न्यू इंडिया प्रहर मैग्जीन में समाचार संपादक।