मुक्तक/दोहा

“मुक्तक”

नूतन किसलय फूल खिले हैं अरमानों के बाग में।

चितवन चितवन धूल भरी है, इन्सानों के भाग में।

जिसके मन में जो आता है, तूल झुला के रख दिया-

वीणा में अनगिनत तार हैं,  पहचानों के राग में॥-1

नव जीवन मिलता हैं किसको, बार बार जब रोग लगे।

सुख दुख है सबके जीवन में, आर पार हठ जोग लगे।

कर्म धर्म की अपनी धूरी, फिर नवीन पाखंड क्यों-

नए नए उपवन खिल जाएँ, अमरता का भोग लगे॥-2

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ