अपनी भूख पराई भूख
सदर बाज़ार में कुछ काम था। काम करते करते काफी समय हो गया । भूख लगी थी सोचा काफी हाउस में बैठ कर कुछ खा लूँ। खाने के बाद एक छोटी पगडण्डी से होता हुआ मैं घर जाने के लिए ऑटो पकड़ने मुख्य सड़क की ओर जा रहा था । रास्ते में एक भिखारी एक पुलिया पर बैठा था । महसूस हुआ यह भी तो भूखा होगा क्यों ना इसे कुछ पैसे दे दूँ ? जेब से दस का नोट निकालकर उसे दिया कहा लो कुछ खा लेना । भिखारी हॅसने लगा साहब दस रुपैये में क्या खाऊंगा ? देना ही हो तो कम से कम इतने तो दो की कुछ खा सकूं ।
मैं तो जैसे आसमान से जमीन पर आ गिरा , मुझे अपनी भूल का अहसास हुआ । जब मुझे भूख लगी तो थोड़ी सी भूख मिटाने के अस्सी रुपैये खर्च कर दिए, जब दूसरे की भूख मिटाने का सवाल आया तो सिर्फ दस रुपैये ? मुझे बहुत आत्म ग्लानि मह्सूस हुई । मैंने जेब से पचास रुपैये निकाल कर उसे दिए । उसका चेहरा खिल उठा ।
मुझे अपनी संस्था के गुरु जी की बात याद आयी वो कहते थे किसी की मदद करने को परोपकार या चैरिटी न समझो यह तो आपका कर्तव्य है । यदि कर सकते हो तो जितना बन सके करो ।
आदरणीय रविंदर भाई जी ! अर्से बाद आपकी कोई रचना जय विजय पर प्रकाशित हुई देखकर अति आनंद हुआ । हमेशा की तरह शानदार व सार्थक रचना देखकर आनंद द्विगुणित होना स्वाभाविक ही था । अति सुंदर शानदार रचना के लिए हार्दिक आभार !
आदरणीय राजकुमार जी ,
आपका आनंद द्विगुणित हुआ और आपकी टिप्पणी से मेरा । बहुत धन्यवाद ।
प्रिय रविंदर भाई जी, बहुत खूब, किसी की मदद करने को परोपकार या चैरिटी न समझो यह तो आपका कर्तव्य है. यदि कर सकते हो तो जितना बन सके करो. अत्यंत सटीक व सार्थक रचना के लिए आभार.
आदरणीय बहन जी,
विश्व में असंतुलन बहुत बढ़ गया है । एक व्यक्ति करोड़ों खर्च करके शादी करता है,
करोड़ों की कार में घूमता है, करोड़ों के मकान में रहता है दूसरी ओर एक व्यक्ति
भूख से मर रहा है किसान आत्महत्या कर रहा है । यदि थोड़ी सी संवेदना हो तो
शादी में करोड़ खर्च ना करके लाखों खर्च किये जा सकते हैं बाकी से किसी की भूख मिटाई जा सकती है, ऐसी शादी सदैव सफल होगी । आदरणीय सिंघल जी का निर्देश पाकर छोटी सी घटना प्रकाशित करवा दी । आपकी उत्साहवर्धक टिपण्णी के लिए बहुत धन्यवाद ।
प्रिय गुरमेल भाई साहब जी,
बहुत धन्यवाद ।
sundar laghu katha ravindar bhaai .