” ————– या ईशारा ” !!
यह अदा है ,
बांकपन है ,
या ईशारा !!
दूर तक फैली निगाहें ,
तक रही है किसकी राहें !
यादों का गहरा समन्दर ,
लहरों सी इठलाती चाहें !!
प्यार है पावन , सलिल तो –
बह चलेगा जैसे धारा !!
अधरों पर मुस्कान फहरी ,
छू गई कोई आस ठहरी !
फिर हुए रुख़सार रक्तिम ,
मन की चंचलता रूपहरी !
तुम क्या जानो , कौनसी छवि –
बन गयी किसका सहारा !!
हम तो घायल हो गये हैं ,
तेरे कायल हो गये हैं !
तू अगरचेे सुधि न ले तो ,
कोरे बादल हो गये हैं !
इंद्रधनुषी रंग भरती है , हंसी –
हमने जब तुमको पुकारा !!