गीत
सबने केवल गीत लिखे है ,लैला शीरीं हीर के
कोई गीत नही लिखता है , भारत माँ की पीर के
सब ग़ज़ले लिखने में रहते , शेरों में श्रृंगार लिखे
आशिक लिखते, राँझा लिखते , मजनूं का वो प्यार लिखे
कोई कलम न लिखना चाहती, भारत माँ की आहो को
सबने लिखना चाहा है बस, नैनो बालो बाँहो को
सबने ग़ज़ल लिखी है केवल , पायल बिंदिया रोली पे
कोई गीत नही लिखता उन , मस्तानो की टोली के
कोई किस्सा नही सुनाता ऐसी एक अभागन का
सत्तर सालो से जो सहती , आयी दर्द विभाजन का
जहाँ कविता बयान न करती , माँ भारती के हाल को
हाथ जोड़ कर करूँ विनंती, वहाँ से मुझे निकाल दो
— मनोज “मोजू”