” —–आज लगे अनजाने ” !!
तिरछी नज़रें डाल चल दिये , हम तो हुए दीवाने !
मूक निमंत्रण हमें मिला जब , छलके ये पैमाने !!
पीछा करती लगे निगाहें , भाग कहाँ जाएंगें !
कानों में गूंजा करते हैं , छेड़े हुए तराने !!
हंसी तुम्हारी बड़ी निठल्ली , पीछा ना छोड़े है !
आनन पर अठखेली करते , भाव सभी मनमाने!!
नख़रे नाज अभी कायम हैं , जादू है जलवा है!
हम जैसे तो जाने कितने , भूले ठौर ठिकाने!!
मुड़ मुड़ कर ना देखो ऐसे , हम ना रहे हमारे !
जाने पहचाने रिश्ते भी , आज लगे अनजाने !!
तुम मुस्काकर चल दोगे फिर , हम तो रहे अकेले !
हाल हमारा किसे बताएं , केवल रब ही जाने !!
बड़े लुभावन वादे तेरे , मोहक छवि है न्यारी !
हमें भेंट वादे करना तुम , करना नहीं बहाने !!
— भगवती प्रसाद व्यास ‘नीरद’