ची-ची करती आयी चिड़ियॉ
ची-ची करती आयी चिड़ियॉ
कॉव-कॉव करते कौआ
गूटरू गूँ करते कबूतर
रिपू-रिपू तोता
बागो मे कोयल की कूँक
पक्षीयों के बोली के शोर से
हुआ चहूँ दिशा उजीयारा
बच्चो के सब मन को भॉते
बारी बारी सभी से खेलते
कभी दाना कभी पानी
लेकर खिलाने पिलाने को दौड़ते
जब उड़ जाते पक्षी
तो जोर-जोर से रोते
कैद करने के लिये पिंजड़ा
पापा से मंगवाते
दादी उन्हे समझाती और कहती
नही कैद किसी को करतें
स्वतंत्र उड़ने वाले पक्षी को
कभी वश में नही रखतें।
निवेदिता चतुर्वेदी’निव्या’