” खुद को भूली जाऊँ ऐसे ” !!
याद तेरी लहराती ऐसे !
लाज यों ही आ जाती ऐसे !!
तुम जैसी निर्लज्ज है पुरवा ,
छेड़छाड़ कर जाती ऐसे !!
है गहरे रंग रंगी चुनरिया ,
पल पल मचली जाये ऐसे !!
मदहोशी का आलम यह है ,
दुनिया हुई परायी ऐसे !!
पलकों पर हैं ख़्वाब सजीले ,
मनभावन बन जाएं ऐसे !!
अरुणिम रंगत देह सजी है ,
बलिहारी वो जाएं ऐसे !!
नाम लबों पर चढ़ा सुहाना ,
खुद को भूली जाऊँ ऐसे !!
आज नहीं परवाह किसी की ,
दुनिया से लड़ जाऊँ ऐसे !!