गीतिका/ग़ज़ल

मेरा हिंदुत्व छोड़ दिया

हर वो आईना, नजर, तिलिस्म तोड़ दिया
जिसने मेरा हिंदुत्व बेवजह छोड़ दिया

नहीं चाहिए उनकी दुवाएँ इस सनातनी को
जिसने सनातन की कलाइयों को मरोड़ दिया

मैं भगवा रंग में रंगा हूँ इसलिए भारतीयों
क्योंकि भगवा ने संस्कृति संस्कार से जोड़ दिया

नही पीता उनके हाँथ का पानी भी ये भारतीय
जिसने मेरी गौ माता का सर फोड़ दिया

प्रेम की इस वशुधा मे स्नेह सब मे समाहित है
बस लवजिहादियों कसाईयो को छोड़ दिया

हूँ उनका कट्टर विरोधी मैं आज भी भाइयो
जिसने मेरे प्यारे हिंदुस्तान को निचोड़ लिया

लड़ाई गांधी नेहरू मोदी की नीतियों से नही
धर्मरक्षा अब तुम हिन्दुओं पर छोड़ दिया

मेरा धर्म द्वेष, बैर कभी नही सिखाता मुझे
पर इसका मतलब ये नहीं शस्त्र छोड़ दिया

जरूरत जब भी आन पड़े लाज बचाने की
कराहती इंसानियत को बेखौफ छोड़ दिया

मेरा राम मुझे प्यारा है बस ये मुझे प्यारा है
जिसने साथ मेरे भाई मुझे सौ करोड़ दिया

माता सीता मेरी दुनिया मे अनोखी न्यारी है
जिसने शक्ति नारी को जहां में बेजोड़ दिया

— संदीप चतुर्वेदी “संघर्ष ”
05/11/2017
समय —10:45 सुबह

संदीप चतुर्वेदी "संघर्ष"

s/o श्री हरकिशोर चतुर्वेदी निवास -- मूसानगर अतर्रा - बांदा ( उत्तर प्रदेश ) कार्य -- एक प्राइवेट स्कूल संचालक ( s s कान्वेंट स्कूल ) विशेष -- आकाशवाणी छतरपुर में काव्य पाठ मो. 75665 01631