मुक्तक
१-
हृदय के तार दर्द देतें हैं ।
दुख के अधिकार दर्द देतें हैं ।
वफादारों से दुश्मनी अच्छी ,
दोस्त गद्दार दर्द देतें हैं ।
2-
मैं बहुत हूँ अधीर कह देना ।
मेरे इस दिल की पीर कह देना।
बादलों उसपें बरस करके तुम ,
मेरे नैनों का नीर कह देना ।
————© डा. दिवाकर दत्त त्रिपाठी