गीत/नवगीत

मैं लेखनी की धार हूँ

क्या  वेदना  जग की सुना दूँ ,

या    प्रीत   का   उपहार   दूँ ।

या  मौन  तोड़ू  मैं ‘अधर’ का ,

कह   दूँ    तुम्हारा   प्यार  हूँ ।।

मैं लेखनी की •••••••

 

इन   स्याह  रातों  में  निरन्तर ,

दूँ    उजाला    वर्तिका    बन ।

सब भाव हिय के व्यक्त करती,

मैं    लेखनी    की   धार   हूँ ।।

मैं लेखनी की ••••••••

 

क्या  रण -शौर्य  की गाथा रचूँ ,

या  दीप्त  उज्वल  भाल  चूमूँ ।

रक्त- रंजित  उर  क्षुब्ध  लेकर,

कलिकाल  को  ललकार   दूँ ।।

मैं लेखनी की •••••••••

 

है  कर   रहा  नर्तन  जगत  यह,

इक   मात्र   जिसकी  दृष्टि   से ।

पर  भ्रमित  है  मानव  अकिंचन,

आशा   अलख    अविकार   दूँ ।।

मैं लेखनी की ••••••••••

 

दूँ   शिराओं   में  रक्त  को  गति,

उन्मुक्त   कर   मन  –  बन्ध  से ।

जो   हत  हुए  जीवन  समर  से ,

नत    असीमित   संसार     दूँ ।।

मैं लेखनी की •••••••••••

 

झूमती   हूँ  मृदु  मधु  वलय  में,

पुष्ट     होती       प्रेम     पाकर ,

माँ   शारदे   के  उर – निलय  में,

सामीप्य    का   आधिकार   दूँ ।।

मैं लेखनी की ••••••••

 

सम  शीतोष्ण  जो  हर  हाल में,

प्राण   ढोते    पीर    हँस    कर ।

है   सत्य  गुम्फन  कर्म  जिसका,

अक्लिष्ट      रचनाकार       दूँ ।।

मैं लेखनी की •••••••

 

मैं    अजर  हूँ    हाँ  मैं अमर हूँ,

मैं   आज    भी    सुकुमार    हूँ ।

हूँ   सुपोषित   मनुज  – मन   से ,

उर     से    उसे   मनुहार     दूँ ।।

मैं लेखनी की •••••••••

 

शुभा शुक्ला मिश्रा ‘अधर’

शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर'

पिता- श्री सूर्य प्रसाद शुक्ल (अवकाश प्राप्त मुख्य विकास अधिकारी) पति- श्री विनीत मिश्रा (ग्राम विकास अधिकारी) जन्म तिथि- 09.10.1977 शिक्षा- एम.ए., बीएड अभिरुचि- काव्य, लेखन, चित्रकला प्रकाशित कृतियां- बोल अधर के (1998), बूँदें ओस की (2002) सम्प्रति- अनेक समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में लेख, कहानी और कवितायें प्रकाशित। सम्पर्क सूत्र- 547, महाराज नगर, जिला- लखीमपुर खीरी (उ.प्र.) पिन 262701 सचल दूरभाष- 9305305077, 7890572677 ईमेल- [email protected]