याद आयेगी
दुनिया भूले चाहे अब फिर से याद आयेगी
घर-बाहर जहाँ भी जायेगी याद आयेगी
जब से आवारा हूँ मैं वो मुझे ना चाहेगी
पूछेगी दुनिया मग़र वो मुझे छुपाएगी
क़ातिल आँखे ग़म कि आवरे पर थी बेअसर
लगता हैं मेरे मरने से पहले वो रुलायेगी
जख़्म,बेदर्दी,सितम,रुसवाई थी कितनी ही
जितनी चाहेगी वो ज़िंदा रहने तक पिलायेगी
— जालाराम चौधरी