राजनीति

कट्टरपंथी दे रहे हैं सरकार को चुनौतियां!

कट्टरपंथी दे रहे हैं योगी सरकार को चुनौतियां! जिनके लिए धर्म और उनकी कुरुतियां ही राष्ट्रीय से ऊपर हो वो भला कैसे राष्ट्रीय का और कानून का सम्मान करेंगे.  उनको तो मात्र सरकार की सुविधाओं का फ़ायदा लेना है. उनको बाकि किसी से कोई लेना देना नहीं है. कट्टरपंथियों को सरकारी नौकरी दे दो. हज के ले सब्सिडी दे दो. मस्जिद और मदरसों के विकास के लिए सरकारी खजानो से दौलत दे दो. सरकारी कोटे से खाने का राशन दे दो. सरकारी और दूसरे धर्म की सम्पत्तियों पर अधिकार जमाना उनके लिए वो सब हलाल है. बस देशभक्ति, भारतमाता की जय और सरकार के कायदे कानून मानना ही उनके लिए हराम है. इससे साफ जाहिर होता है की ये गंदा इस्लाम कोई धर्म नहीं बल्कि उससे जुड़े लोगों के फायदे का एक बहुत ही गूढ़ फार्मूला है जो केवल और केवल उन लोगों के लिए ही मान्य है जो इस्लाम और अल्लाह में दीन लाते हैं.

आपको स्मरण होगा कुछ दिन पूर्व ही में योगी सरकार ने मस्जिदों और मंदिरों पर बजने वाले लाउडस्पीकरों पर पाबंदी लगाई थी और बिना अनुमति के कोई भी लाउडस्पीकर नहीं बजा सकेगा. मगर कटटरपंथिओं को सरकार और उनके आदेशों की कोई परवाह ही नहीं है. आइये बताते हैं कहाँ हो रही है योगी सरकार के आदेशों की अवहेलना. जनपद हापुड़ के अंतर्गत आने वाली तहसील गढ़मुक्तेश्वर के एक मुस्लिम बहुल ग्राम अल्लाहबक्सपुर जो राष्ट्रीय राजमार्ग-24 पर बसा है. इस गांव में 6-7  मस्जिदें हैं जिनमें पांचों वक़्त की अजान आज भी खूब चिल्ला-चिल्ला कर लाउडस्पीकर पर की जाती है. हिन्दुओं के प्राचीन धार्मिक स्थान ब्रजघाट एवं गढ़मुक्तेश्वर के  मध्य बसा ये गांव  बड़ी ही तेज़ी से इस्लाम को पोषित कर रहा है. इस गांव में शिक्षा को उतनी अहमियत नहीं दी जाती जितनी की बच्चे पैदा करने को दी जाती है और दी भी क्यों ना जाये बच्चे तो अल्लाह की देन हैं तथा जितने ज्यादा बच्चे पैदा होंगे उतनी ही जल्दी भारत पर इस्लाम का राज आ जाएगा. शिक्षा में बेशक ये गांव पिछड़ा हो मगर इस्लाम के सपने साकार करने में बहुत ही आगे है. ये गांव 6 -7 मस्जिद, एक मदरसा और 15 -20 बीघा कब्रिस्तान की भूमि पर अपना अधिकार जमाये हुए है और बड़ी ही तीव्रता से इस्लामीकरण की और अग्रसर है. भले ही सरकार किसी की भी रही हो मगर इस्लाम के पोषण को कोई भी अभी तक रोक नहीं पाया है. दिन प्रति दिन भारत में इस्लाम अपना विस्तार कर रहा है और ध्यान देने योग्य बात ये है की ये वहां ही तेज़ी से फ़ैल रहा है जहाँ पर हिन्दुओं के धार्मिक स्थल हैं. बेशक इस्लाम में हिन्दू काफिर हों मगर उनकी भूमि हड़पना, उनकी हत्या करना, उनसे व्यवसाय करना, उनके धार्मिक स्थलों में दुकाने लगाना, गाड़ियां चलना, उनके घरों एवं खेतों में चोरी करना ये सब इस्लाम में जायज है, और इस्लाम ये सब कर रहा है.

अब सवाल ये है की इतनी शख्त योगी सरकार के होते हुए भी कटटरपंथीं चुनौती पे चुनौती दे रहे हैं. तो सरकार को ऐसा कौन सा कदम उठाना चाहिए जिससे राष्ट्रीय का इस्लामीकरण होने से बच जाये. क्योंकि ये चुनोतियाँ मात्र सरकार के लिए ही नहीं हैं बल्कि सम्पूर्ण भारत के लिए हैं. जिस भारत के इस्लाम पहले भी कई टुकड़े करवा चुका है और उन टुकड़ों पर सिर्फ और सिर्फ इस्लाम का ही कब्जा हुआ है.

ये अब इस राष्ट्रीय की सरकार कानून और बहुसंख्यक हिन्दुओं के लिए बहुत बड़ी चुनौती है की इस्लाम के चंगुल से बाकि बचे इस भारत को कैसे बचाया जा सकता है? मुझे तो मात्र एक मार्ग ही सूझ रहा है जो इस राष्ट्रीय को इस भयंकर संकट से उबार सकता है और वो मार्ग ये है. सरकार सभी सरकारी कर्मचारियों का मासिक वेतन आधा कर दे और उस पैसे से युवाओं को सेना और पुलिस में भर्ती करे, इससे सरकार के बजट पर भी प्रभाव नहीं पड़ेगा और युवाओं को रोजगार भी मिल जायेगा स्मरण रहे उसमें केवल सनातनी युवा ही हों अन्यथा फिर से गद्दारी का कोई रास्ता खोज लेंगे शत्रु. अब भर्ती की गई सेना और पुलिस को हथियार दे दिए जाएँ और डॉक्टरों की टीम के साथ सेना और पुलिस को मुस्लिम बहुल इलाकों में भेजा जाये और सब की पकड़-पकड़ कर नसबंदी की जाये चाहे वो मुस्लिम बच्चा हो या बुड्ढा इससे मुस्लिमों की संख्या 10 -20 साल में ही भारत से पूर्णतया नष्ट हो जाएगी. बस इतनी सी हिंसा और अपराध तो करना ही होगा यदि अब भारत को बचाना चाहते हो. इसमें ग्रह युद्ध की भी कोई संका नहीं हैं यदि फिर भी कोई फन उठाये तो उसे तुरंत सेना और पुलिस के द्वारा कुचल दिया जाये. तभी फिर से ये राष्ट्रीय विश्व गुरु बन सकता है. अन्यथा दूसरा कोई मार्ग शेष नहीं बचा है. भारत के पास इस भयंकर संकट से उबरने का क्योंकि भारत अपनी अहिंसा पर कायम रहेगा और शत्रु  इसका फ़ायदा उठाते रहेंगे.

— डी. एस. पाल 

मेंबर ऑफ़ स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन मुंबई

धर्मवीर सिंह पाल

फिल्म राइटर्स एसोसिएशन मुंबई के नियमित सदस्य, हिन्दी उपन्यास "आतंक के विरुद्ध युद्ध" के लेखक, Touching Star Films दिल्ली में लेखक और गीतकार के रूप में कार्यरत,