“दोहा”
उड़े तिरंगा शान से, लहराए जस फूल
हरित केशरी चक्र बिच, शुभ्र रंग अनुकूल।।-1
झंडा डंडे से बँधा, मानवता की डोर
काश्मीर जिसकी सिखा, क न्याकुमारी छोर।।-2
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
उड़े तिरंगा शान से, लहराए जस फूल
हरित केशरी चक्र बिच, शुभ्र रंग अनुकूल।।-1
झंडा डंडे से बँधा, मानवता की डोर
काश्मीर जिसकी सिखा, क न्याकुमारी छोर।।-2
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी