“गीतिका”
महा शिवरात्रि के परम पावन पर्व पर सादर प्रस्तुत गीतिका आप सभी को ॐ नमः शिवाय, हर हर महादेव, ॐ जय श्री महाकाल
अवघड़ दानी भोले बाबा संग में नंदी बैला
नाचे गाए धूम मचाए भंग का रसिया छैला
आज गौरा की महलिया री अंखियाँ चार हो जाई
डमडम डमरू की बोली रस रंग में फूले शैला।।
शिव की चली डगर बारात धकधक हर्षात मनवा
अजब गले मुण्डों में माला अंग री झूले थैला।।
नाचें भूत बैताला बमबम बोली हाथ में भाला
लंबी जटा जस कराला नभ गंग है नीले फैला।।
मैना करें अगुवानी साज मंडप महल में रानी
दूल्हा देखि मन डेराइल हुड़ दंग है हल्ले हैला।।
नट नटिनी अरु चुड़लिया झूमे नाचे रे घुँघटा में
बजी दुंदुभी शिवशंकर की बल्ले बंग है भैला।।
रे गौतम यह छटा निराली पुलक रहे हरि देवा
भोले की महिमा को जाने अदभुत पल्ले ढंग री गैला।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी