“पिरामिड”
ये
नींव
खोखली
अंदर से
हिलता खंभा
बहुत अचंभा
प्यारी अप्सरा रंभा॥-1
ये
जड़
चेतना
अंकुरण
राग वैराग
चिंतन स्फुरण
अंदर तक जाते॥-2
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
ये
नींव
खोखली
अंदर से
हिलता खंभा
बहुत अचंभा
प्यारी अप्सरा रंभा॥-1
ये
जड़
चेतना
अंकुरण
राग वैराग
चिंतन स्फुरण
अंदर तक जाते॥-2
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी