क्रान्ति धरा से राष्ट्रोदय का शंखनाद
क्रान्ति भूमि मेरठ से आजाद भारत वर्ष में राष्ट्रोदय का शंखनाद नए भारत का निर्माण करेगा |
संपूर्ण विश्व में हिंदू जाति की रक्षा का पर्याय बन चुका संघ मेरठ से एक नई क्रांति का सूत्रपात करने के लिए तैयार है |राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्थापना काल से ही देशभक्त संगठन के रूप में जाना जाता है |संघ के कारण ही विश्व में हिंदू जाति का परचम लहराया है |संघ ने ही भारतीयों के बीच देशभक्ति की लौ को जलाए रखा है |आगामी 25 फरवरी 2018 को 2.50लाख से 300000 स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रोदय कार्यक्रम में पूर्ण गणवेश में भाग लेंगे ,जो कि विश्व इतिहास में ऐतिहासिक, अविस्मरणीय, अद्भुत, अदम्य समागम होगा |राष्ट्रोदय का यह कार्यक्रम कई विषयों में महत्वपूर्ण है |इस कार्यक्रम की गूंज दूर तक सुनाई देगी जो लोगों को प्रभावित करेगी |राष्ट्रोदय से स्वयंसेवकों ,कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा इसके दूरगामी परिणाम भी देखने को मिलेंगे |अब तक इतना बड़ा कार्यक्रम किसी भी संगठन का नहीं हुआ है ,और शायद करना असंभव है |लेकिन संघ के स्वयंसेवकों के अनुशासन के कारण यह संभव हो सका है| संघ शिक्षा वर्ग एवं प्रातः सायं लगने वाली शाखाओं में जो अनुशासन का पाठ पढ़ाया जाता है ,उसका जीता जागता प्रमाण हमेशा संघ के कार्यक्रम रहे हैं | संघ के बारे में प्रचलित किवदंती कि आप यदि किसी कमरे के बाहर पंक्ति में जूते चप्पल देखो तो समझना कि अंदर संघ के स्वयंसेवकों की बैठक चल रही है | अनुशासन का ही परिणाम था कि भूमि पूजन कार्यक्रम में आए लगभग 30000 स्वयंसेवकों के बाद भी कार्यक्रम स्थल पर किसी भी प्रकार की गंदगी पानी के गिलास पत्तल आदि कोई सामान बिखरा नहीं मिला कार्यक्रम स्थल जैसा कार्यक्रम से पहले था ऐसा ही कार्यक्रम के बाद में था जिसमें स्वच्छता पर्यावरण का विशेष ध्यान रखा गया | राष्ट्रोदय समागम 3 जनवरी 2016 को पुणे महाराष्ट्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के डेढ़ लाख कार्यकर्ताओं के एकत्रीकरण कार्यक्रम को पीछे छोड़ते हुए एक नया इतिहास रचेगा | संघ के स्वयंसेवक लगभग 40 सालों से बड़े पैमाने पर समाज सेवा का कार्य कर रहे हैं | सेवा कार्यों की कुल संख्या 170700 है| विगत 1 वर्ष में लगभग पौने नौ हजार नये सेवा कार्य प्रारंभ हुए हैं |इस में स्वास्थ्य संबंधी 86,698 ,शिक्षा संबंधी 26,827 ,सामाजिक 30587 एवं स्वावलंबन सेवा कार्य 26588 है |जो कि स्वयं सेवको द्वारा चलाए जा रहे हैं |यह कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी आज भारत में अस्पृश्यता ,भेद-भाव ,छुआछूत को संघ पूरे मनोयोग के साथ दूर कर रहा है| आज जातिवाद का जहर भारत में घोला जा रहा है, उसे संघ के द्वारा ही दूर किया जा सकता है | सन् 1939 में पुणे में लगे संघ शिक्षा वर्ग में भी योजनानुसार बाबा साहब आए |डॉक्टर हेडगेवार भी वहां थे| लगभग 525 पूर्ण गणवेशधारी स्वयंसेवक संघ स्थान पर थे | बाबा साहब ने डॉक्टर हेडगेवार से पूछा -“इनमें अस्प्रश्य कितने हैं ? डॉक्टर साहब ने कहा -“आप स्वयं पूछ ले”| बाबा साहब ने माइक से पूछा -“आप में से जो अस्प्रश्य हो एक कदम आगे आएं “|पर कोई भी स्वयंसेवक आगे नहीं आया | बाबा साहब ने प्रश्नवाचक दृष्टि से डॉक्टर साहब की ओर देखा | हेडगेवार बोले आपका प्रश्न गलत है | हमारे यहां कोई अस्प्रश्य है ही नहीं | आप अपनी अभिप्रेत जाति का नाम लेकर पूछे तब बाबा साहब ने स्वयंसेवकों से प्रश्न किया इस वर्ग में कोई हरिजन, मांग ,महार, चमार हो तो एक कदम आगे आए |ऐसा कहने पर 100 से अधिक स्वयं सेवक आगे आएं यानी लगभग 20% स्वयंसेवक अछूत वर्ग से थे | संघ के जातिविहीन समाज बनाने के प्रयत्न बाबासाहेब को प्रभावित करते थे| इतना ही था कि उन प्रयासों की गति तीव्र महसूस नहीं होती थी | पर बाबा साहब ने अस्पृश्यता रहित जातिवाद विहीन हिंदू संगठन का कार्य आवश्यक बताया | सन 1925 से संघ समाज को समरस के बंधन में बांधकर राष्ट्र भक्ति की भावना जगाने में लगा है | राष्ट्रोदय का यह महाकुंभ समाज में नई प्रेरणा प्रदान कर समाज को आलोकित करेगा | इसके प्रकाश से लाखों स्वयंसेवक उत्साहित होकर कार्य करेंगे जो संघ के कार्य को तीव्र गति प्रदान करेगा | राष्ट्रोदय कार्यक्रम में पूज्य संघ संचालक श्री मोहन भागवत जी का उद्बोधन स्वयंसेवकों के लिए संजीवनी बूटी का कार्य करेगा राष्ट्रोदय कार्यक्रम संघ के कार्य में नवीन ऊर्जा का संचार करेगा |जिससे राष्ट्रोदय का उद्देश्य ” विश्व गगन पर फिर से गूंजे ,भारत मां की जय जय जय ” का नारा सार्थक होगा |राष्ट्रोदय एक अविस्मरणीय कार्यक्रम होगा जो इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा ||जय हिंद जय भारत !