क्या नारी सुरक्षित है
सुनो सुनो एक कहानी सुनाती हूँ
नारी है क्या इस कलयुग में उसकी गाथा गाती हूँ
समाज की अटूट कड़ी जिसको मान सम्मान पुराणों में दिया
जिसे माता पिता बहन पत्नी प्रेमिका देवी जैसे शब्दों से उच्चारित समाज ने किया
उसी औरत की देखो क्या दशा समाज ने बनाई है
कलयुग की परछाई जैसे बेड़ियां बन आयी है
मां सम्मान जिसका पल में छीना है
समाज ने स्त्री के रूप को पल पल नोचा है
हर बार एक स्त्री ने अपने सम्मान पर चोट खाई है
पता नही कैसी कैसी जग ने रीत बनाई है
पहले पढ़ाई लिखाई नही घर के काम से कम चलेगा
फिर दहेज के नाम पर बेटियां ही हमेशा जलाई है
हमेशा एक नारी ने अपनी ख्वाहिशों का दम घोंटकर अपनी गृहस्थी चलाई है
पर इन सबमे अभी भी पीस रही नारी है
और समाज ने देखकर भी अनदेखा करने की कसम खायी है
हो रहे गैंग रेप हर चौराहे नुक्कड़ घर बाहर और मैदानों में
एक नारी ने सुरक्षा कहीं नही पाई है
लड़की है अगर गर्भ में तो भ्रूण हत्या करवा दो
इतनी निर्दयता तो धरती माँ भी सह नही पाई है
फुट फुटकर रोया है हर औरत का दिल
पता नही कुदरत ने औरत की देह किस मिट्टी से बनाई है
पता नही औरत की देह कुदरत ने किस मिट्टी से बनाई है
— नेहा शर्मा