कविता

जीवन का अर्थ

मैं मैं करता क्यों फिरे
बकरी जैसे कहाय
हम हम करता जो फिरे
एकता में बंध जाए
जीवन व्यर्थ गवाएं क्यों
सेवा से तर जाए
बैठत बैठत कुछ नही
आंत सभी सड़ जाए
अनमोल पल बिताये के
परिवार संग जो जिये जाए
खुश हाली उस चोखट से
कभी लांघ न जाये
सम्मान करें जो बड़ो का
जीवन से तर जाए
अच्छा अच्छा बोल और सुन
तू क्यों बुरा कहाय
नेहा शर्मा

नेहा शर्मा

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