दो बातें कविताएं
क्यों बदल रहे लोग
वैमनस्य की कड़वाहट
का अभ्यस्त हुआ व्यक्ति
स्वयं व अन्य के प्रति
कितना असंवेदनशील हो जाता है।
ये अलग है कि उसकी असंवेदना
कितनों की संवेदनाओं को
चोट पहुंचाती है,
अलावा उसके,
यह बात सब जानते हैं।
खैर ‼ जीते सभी हैं
कीटों से लोगों तक
पर शान की भी
अपनी अहमियत होती है।
मैत्री
मैत्री कुकुरमुत्तों सी
पनपने लगी हैं
बनना मिटना
कितना सहज सा है
जैसे सुबह जन्मती हैं
रात को मर जाती हैं
फिर किसी
एक नए जन्म के लिए