“मुक्तक”
हाथ न छोडूंगी साँवरिया, आज पकड़ में आई बाँसुरिया।
छूने नहिं दूँगी कांभरिया, पिया माखन मिश्री गागरिया।
चाहे ज़ोर लगा लो जितना, नहीं पीछे हटूँगी कृष्णा-
रंग दूँगी तोरी नगरिया, मनमोहन मधुवन की डगरिया॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
हाथ न छोडूंगी साँवरिया, आज पकड़ में आई बाँसुरिया।
छूने नहिं दूँगी कांभरिया, पिया माखन मिश्री गागरिया।
चाहे ज़ोर लगा लो जितना, नहीं पीछे हटूँगी कृष्णा-
रंग दूँगी तोरी नगरिया, मनमोहन मधुवन की डगरिया॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी