होली में
बैर भाव सब भूल प्रीत के, रंग उड़ायें होली में
हर रिश्तों का मान करें हम, प्रीत बढायें होली में
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डाल-डाल पर पात-पात पर, फागुन की मस्ती छाई
ढपली पर दे थाप फाग के, गीत सुनायें होली में
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रहे न कोरे गाल किसी के, डारो ऐसा रंग पिया
बचे न कोई आओ सारी रीत निभायें होली में
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थिरक रहे सारे नर नारी, होकर मस्त मलंग यहाँ
हम भी ढोलक झांझ मजीरे,खूब बजायें होली में
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हँसी ठिठोली, देवर भाभी, करते हैं जीजा शाली
पार नहीं लेकिन मर्यादा, हम कर जायें होली में
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होली का हुड़दंग रसीला, पूरा कब पकवान बिना
लड्डू बर्फी गुझिया चमचम, जमकर खायें होली में
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नशा फाग का चढा सभी पर,बच्चें हो या बूढ़े हों
भांग भरी ठंडाई देखो , सब गटकायें होली में
रमा प्रवीर वर्मा ……..