ग़ज़ल
अगर है प्यार तो इकरार भी हो
अजी फूलों का फिर उपहार भी हो
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दबायें बात दिल की दिल में क्योंकर
मुहब्बत का कभी इज़हार भी हो
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तड़फ है प्यार की इस पार तो फिर
जरा सी ही सही उस पार भी हो
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समय के साथ चलना है तो थोड़ी
तुम्हारे पाँव में रफ्तार भी हो
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रमा इस जिंदगी का क्या भरोसा
सफल अपना यहाँ किरदार भी हो
रमा प्रवीर वर्मा