हास्य व्यंग्य

व्यंग्य – बाबाजी का बजट

अवध में जैसे ही लाल सूटकेश खोला गया संपूर्ण वातावरण में धूप,गुगुल,अगरबत्ती की खुशबू फैल गई।भक्त रूपि जनता को नेपथ्य से शंख एवं घंटी की ध्वनि सुनाई देने लगी और सभी धर्म की वैतरणी में डूबने-उतरने लगे।
चौंकिए नही ये किसी मंदिर परिसर के पूजन पाठ का दृश्य नही है और ना ही गुलशन कुमार के किसी धार्मिक फिल्म का सीन। ये तो यूपी विधानसभा का दृश्य था जब योगी सरकार ने अपना पहला बजट पेश किया। आखिरकार बाबा ने पहली बार अपने प्रदेश का बजट जारी किया शुक्र है बजट प्रस्तुत करने के लिए बाबाजी के जजमान (वित्त मंत्री) ने भगवा रंग के बैग की बजाय परंपरागत लाल बैग का ही इस्तेमाल किया।
बाबाजी का बजट हो और भक्तों को सौगात ना मिले भला ऐसा हो सकता है! यही प्रजापालक बाबा है जो अयोध्या में सरयू तट पर दीपावली के दौरान रिकॉर्ड दीप जलाकर भक्तों को डिजिटल इंडिया में त्रेतायुग के जम्बू द्वीप के भूखंड भारतवर्ष का दर्शन करवाया था।

यधपि अवध के बाबाजी का धार्मिक बजट ऐसे समय में थोड़ा अटपटा लगता है जब कुछ दिन पूर्व ही इनके मठ के इंद्रप्रस्थ वाले वरिष्ठ सुधिजनों ने दुसरे संप्रदाय की सब्सिडी की बाट लगा दी है। स्वामी जी के बजट में धार्मिक बजट दोगुना कर दिया गया। ब्रज तीर्थ परिषद विकास के लिए 250 करोड़ रूपये प्रस्तावित है। बाबाजी के बजट में बरसाना के लट्ठमार होली के लिए भी एक छोटा सा पैकेज है।
स्वामी जी ने कुंभ मेले के लिए पंद्रह सौ करोड़,कैलाश मानसरोवर भवन हेतु 94 करोड़ तो सर्व धर्म समभाव का परिचय देते हुए रामायण,कृष्ण,सूफ़ी,बौद्ध एवं जैन सर्किट आदि के विकास हेतु 70 करोड़ रुपये की घोषणा की है। हालाँकि सबका साथ सबका विकास बना रहे इसके लिए बजट में मदरसा एवं कब्रिस्तान के लिए भी अतिरिक्त पैकेज का समायोजन किया गया है। वैसे तो बजट में शिक्षा, बिजली, सड़क, युवा, किसान आदि के विकास का भी ख्याल रखा गया है लेकिन धार्मिक कार्यक्रमों के खर्च पर विशेष ध्यान दिया गया है।
इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं कि स्वामी जी राज्य एवं राष्ट्र विकास हेतू जनता को विकास की गंगा में गोता लगाने से ज्यादा गंगा के विकास में ऊब-डूब करवाने में विश्वास रखते है। जिसकी छाप इस बार के यूपी बजट में साफतौर पर देखी जा सकती है। अवध की प्रजा मंहगाई भ्रष्टाचार विकास के माया से मुक्त हो बाबा जी की धूनि रमाए बैठे है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि बाबाजी का बजट ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो विकास की हांड़ी में धर्म की खिचड़ी पकाने की भरपूर कोशिश की गई हो।

— विनोद कुमार विक्की

विनोद कुमार विक्की

शिक्षा:-एमएससी(बी.एड.) स्वतंत्र पत्रकार सह व्यंग्यकार, महेशखूंट बाजार, खगडिया (बिहार) 851213