गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

राज अभी कई गहरे बाकी है
टूटने को ख्वाब सुनहरे बाकी है

पकड़े गए है लुटेरे कुछ ही
अभी तो कितने चेहरे बाकी है

इक नल ही पकड़ा है पाप का
अभी सागर नदिया नहरे बाकी है

इक जरा सी हलचल में लड़खड़ा गए
अभी तो सुनामी लहरे बाकी है

युँ ही लिखा है मोजू ने बैठे ठाले
अभी तो ग़ज़ले औ बहरे बाकी है

— मनोज “मोजू”

मनोज डागा

निवासी इंदिरापुरम ,गाजियाबाद ,उ प्र, मूल निवासी , बीकानेर, राजस्थान , दिल्ली मे व्यवसाय करता हु ,व संयुक्त परिवार मे रहते हुए , दिल्ली भाजपा के संवाद प्रकोष्ठ ,का सदस्य हूँ। लिखना एक शौक के तौर पर शुरू किया है , व हिन्दुत्व व भारतीयता की अलख जगाने हेतु प्रयासरत हूँ.