मुक्तक/दोहा

होली पर दो मुक्तक

दिलों में प्रेम की गंगा बहाने आ रही होली.
सभी शिकवे गिलों को दूर करने आ रही होली.
धरा से दूर होती जा रही सर्दी कड़ाके की ,
सभी के उर मे अति स्नेह को उपजा रही होली..

किसी को याद कर लेना, किसी को याद आ जाना

बड़ा रंगीन है मौसम हमारे पास आ जाना.
सभी बागों मे अमराई है, मौसम खुशनुमा यारों,
कसम तुमको है प्रीती तुम मेरे ख्वाबों में आ जाना.

— आशुकवि नीरज अवस्थी

आशुकवि नीरज अवस्थी

आशुकवि नीरज अवस्थी प्रधान सम्पादक काव्य रंगोली हिंदी साहित्यिक पत्रिका खमरिया पण्डित लखीमपुर खीरी उ0प्र0 पिन कोड--262722 मो0~9919256950