होली पर दो मुक्तक
दिलों में प्रेम की गंगा बहाने आ रही होली.
सभी शिकवे गिलों को दूर करने आ रही होली.
धरा से दूर होती जा रही सर्दी कड़ाके की ,
सभी के उर मे अति स्नेह को उपजा रही होली..
किसी को याद कर लेना, किसी को याद आ जाना
बड़ा रंगीन है मौसम हमारे पास आ जाना.
सभी बागों मे अमराई है, मौसम खुशनुमा यारों,
कसम तुमको है प्रीती तुम मेरे ख्वाबों में आ जाना.
— आशुकवि नीरज अवस्थी