कविता – परिचय
दिनकर का वंशज हूँ मैं श्रृंगार नहीं गा पाउँगा।
चूड़ी कुमकुम बिंदिया वाले गीत नहीं लिख पाउँगा।।
मैं तो केवल गीत लिखुँगा भारत माँ के वन्दन के।
मैं तो केवल गीत पढूंगा भारत माँ के अभिनन्दन के।।
मैं छोटा सा कलमकार हूँ भारत का यशगान लिखूंगा।
मैं मरते दम तक भी इस मिट्टी का सम्मान करूँगा।।
भारत फिर से विश्वगुरु हो यह उत्कट आकांक्षा है।
जर्रे- जर्रे से भारत की जय हो यह उर की अभिलाषा है
लहराये भगवा अम्बर तक विश्व विजय अभियान रहे।
जब तक भाष्कर, चन्दा चमके तबतक यह हिन्दुस्थान रहे।।
जब तक एक भी हिन्दू रहे तब तक यह हिन्दू राष्ट्र रहे।।
।।भारत माता की जय।।