पल-पल
पल-पल की तू क्यों बात करता है रे मन
पलभर में ये पल अभी बदल जायेगा
पल भर की ख़बर न होगी फिर तुझे
पलभर में समा ये अभी बदल जायेगा
पल पल को रोक लो एक पल के लिए
पल का फिर पता नहीं किधर जायेगा
पल है तो पलभर को जी लेंगे हम
पल न हो तो ये मेहमां किधर जायेगा
पलभर का ये पल है दो पल के लिए
पलभर में ये जहाँ भी बिखर जायेगा
पल दो पल को याद रखेंगे हम तुझे
पल दो पल में न जानें किधर जायेगा
— डॉ माधवी कुलश्रेष्ठ