शब्दों के बाण
शब्दों के बाण आप ऐसे तो न मारिये ,
कुछ तो सोचिये कुछ तो विचारिये ।
चुभते है तो ये सबको शूल की तरह ,
क्या लगते है ये मुझको फूल की तरह ।
कुछ तो गौर कीजिये,
औरों को बताइये ,
मुख खोलने से पहले जरा तो विचारिये ।
ये तरकश के तीर नही जो
वापस आ जायेंगे ,
घाव गहरा करेंगे और
दिल पर नश्तर चुभायेंगे ।
चुपके से दिल रोयेगा पर आप मुस्करायेंगे ,
नासूर कितना गहरा है
ज़माने को नही दिखायेंगे ।
अजी सुनिये तो और ज़रा गौर फरमाइये ,
इस दर्दे दिल पर मरहम तो लगाइये ।
हम भी इंसान है कुछ
आप ही की तरह ,
दिल में दर्द होता है
आप ही की तरह ।
इसलिए कुछ बोलने से पहले
दस बार सोचिये
शब्दों को तौलिये
फ़िर अपना मुख भी खोलिये ।
— डा माधवी कुलश्रेष्ठ