दोहे
१-
गले मिलें हम भूलकर ,सारे कलुषित राग ।
बैर जला दें हम सभी ,हो होली की आग ।।
२-
मारें रंग फुहार की ,कर दें चूनर लाल।
इस होली में रंग दें ,गोरी तेरे गाल ।।
3-
मैं तुझमे ही रंग गया, होकर प्रेम विभोर ।
गोरी तेरे नैन हैं ,बहुत बड़े चित चोर ।
४-
आ तू समझा दे मुझे,प्रेम रीति का ढंग ।
इस होरी मे रंग ले ,मुझको अपने रंग ।।
५-
मैंं तुम पर डालूँ प्रिये!,रंग गुलाल ,अबीर ।
तुम घायल करना मुझे,मार नैन के तीर ।।
—– ——डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी