गीत/नवगीत

देशज गीत……   “रंग चढ़वा ल”

 

रंग चढ़वा ल हो रंग चढ़वा ल,

भौजी नथुनिया पे रंग चढ़वा ल…….

सरसो फुलाइल चमैली फुलाइल

फुलल रहरिया हो अंग मलवा ल……भौजी नथुनिया पे रंग चढ़वा ल

साँझ सबेरे छमकि जाले पायल

लहूरा देवरवा भइल बा रे घायल

घूँघता उठा ल हो नथ नथवा ल….. भौजी नथुनिया पे रंग चढ़वा ल

कोर कोर चोली पसार नहीं लहँगा

गोर गोर गोरी सुनार भइल महँगा

चमके चुनरिया हो लैस लगवा ल…..भौजी नथुनिया पे रंग चढ़वा ल

लाल रंग डालूँ पियर रंग डालूँ

श्याम सबुज रंग लगे जस भालू

होठ सुंदर बतिसी हो दंत दबा ल…..भौजी नथुनिया पे रंग चढ़वा ल

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ