अन्त. महिला दिवस पर कुछ कवियों के उदगार(दोहे)
1
युग युग से ‘मैं’ कर रही , नित्य देह का दान
काश कभी मन-भाव को, भी मिलती पहचान .
डॉ. पूनम माटिया
2.
निर्मल जल की ही तरह,रखती सबका ख्याल।
पर अपने ही कर रहे,उसका भोग विलास।।
मनोज कामदेव
3.
नारी को मिलते नहीं, जहाँ सभी अधिकार !
अपने सपनो को करे ,कैसे वो साकार !!
संजय कुमार गिरि
4.
नारी मन से शांत है,देखो गर तुम रूप
आन पर जो उतर गयी,देखो फिर स्वरूप
ममता पाण्डेय
5.
नारी देवी रूप में , करे जगत कल्याण,
माँ बहना परिवार में ,हैं जीवंत प्रमाण.(५)
बिहारी दुबे
6.
हर घर मन्दिर सा लगे,ऐसा बने विधान
नारी का सम्मान ही , देवों का सम्मान
लव कुमार ‘प्रणय’
7.
नारी नारी का यहाँ, करती है अपमान।
फिर कैसे होगा भला,नारी का सम्मान।।
विजय मिश्र दानिश
8.
नारी नाड़ी की तरह. करती है हर काम।
नारी का सम्मान जहाँ,वहाँ बसे श्रीराम।।
लाल बिहारी लाल
9.
नारी के उर में छिपी ,संवेदना विशाल
पिये हलाहल विष मगर,दिखे सदा खुशहाल।।
प्रमिला पांडेय
10.
नारी सबल बनाइये ,यह है गुण की खान !
नारी के बढ़ते कदम ,बने विश्व की शान !!
जगदीश मीणा
“संकलन “-संजय कुमार गिरि एवं लाल बिहारी लाल