” मैं तो राह तकूँ हर बार ” !!
थके थके से हैं दो नयना ,
रात जगे से हैं दो नयना !
अभी हौंसले पस्त नहीं है ,
उम्मीदों का है ये कहना !!
आज नहीं तो कल आओगे ,
सजे सजे हैं बन्दनवार !!
पल पल अब उपहास करे है ,
चंचल मन परिहास करे है !
कहीं भरोसा टूट न जाये ,
मानो हम पर गाज गिरे है !
खुद को ही हम समझ न पायें ,
यों तुम समझाओ इक बार !!
दुविधा सम्मुख आज खड़ी है ,
जुड़े न कोई आज कड़ी है !
समाधान तुमसे ही चाहें ,
हमको भी यह आज पड़ी है !
दिल से दिल के तार जुड़े हैं ,
सब कह सुन जाते इक बार !!
अनुपम रचना