मुक्तक/दोहा

“मुक्तक”

माँ जगत की अन्नदाता भूख को भर दीजिये।

हों सभी के शिर सु-छाया संग यह वर दीजिये।

उन्नति के पथ डगर पिछड़े शय शहर का नाम हो-

टप टपकती छत जहाँ उस गाँव को दर दीजिये॥-1

माफ कर जननी सुखी सारे सिपाही आप के।

बेटियों की हो रहीं कैसी बिदाई माप के।

जी रहें अंधेर में बिजली चिढ़ाती है कड़क-

खो गयी है प्रगति पथपर भार कंधे बाप के॥-2

महातम मिश्र,गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ