क्या गलत कह दिया
चाँद को चाँद कह दिया तो क्या गलत कह दिया !
हमने अपनी मेहबूबा को मोहब्बत कह दिया !!
पागलपन जिसे लोगो ने कहा है हमारा !
उसे हमने अपनी उल्फ़त कह दिया !!
चाहते है जिसे हम पा ही लेते है उसको !
लोगो ने इसे हमारी फ़ितरत कह दिया !!
आंसमा में उड़ने को कभी सोचा नही हमने !
इसे उसने अपनी चाहत कह दिया !!
बिगड़ गये वो तो खुद अपने आप ही !
लोगो ने इसे बुरी सोहबत कह दिया !!
न कहा था अब तक किसी से जो हमने !
अनकहा वही तुमसे जज्बात कह दिया !!
सपना समझ न देखो इस जिंदगी को नन्हा !
किसी ने दिन कहा इसे किसी ने रात कह दिया !!
-शिवेश अग्रवाल ”नन्हाकवि”