गीतिका
जिम्मेदारियों का जरा भी अहसास नही है !
लगता है उसे खुद पर विश्वास नही है !!
कुछ ऐसे दिन दिखाए है ज़माने ने उसको !
कि खुशियों की अब उसे तलास नही है !!
सारी की सारी उम्मीदें टूट गई उसकी !
कुछ पाने की उसे अब आस नही है !!
घिर गया है अंधेरो से जीवन उसका !
मैंने देखा है ज्ञान का प्रकास नही है !!
ड्रामेबाज है बहुत बड़ा वो नन्हाकवि !
मुझे लगता है कि वो उदास नही है !!
— शिवेश अग्रवाल ”नन्हाकवि”