गीतिका/ग़ज़ल

“गीतिका”

छंद – मनोरम (मापनीयुक्त ) मापनी – 2122 2122

हम नहीं तो तुम नहीं हो

तुम नहीं तो हम कहीं हों

क्या फरक पड़ता बताना

हम हमी हैं तुम तुम्ही हो॥

दिल लगाकर देख लेना

दिल किसी का तुम वही हो॥

हम हमारे तुम तुम्हारे

जब किनारे बत कही हो॥

लौट आती हैं बहारें

हर दिशाएँ जब सही हो॥

तुम हमेशा तम तमाशा

क्या दिलाशा जम दही हो॥

वाह गौतम आस किससे

हम हकीकत तुम डही हो॥

 

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ