भारत की नारी
कभी किसी से नहीं डरी जो ,
वह भारत की नारी है
दुष्टों के संहार हेतू वह ,
सौ लोगों पर भारी है ।।
नहीं भूलते हम झांसी को
और न उसकी रानी को
मर्दों को लज्जित कर डाले
नमन वीर मर्दानी को
जीत लिया दिल उसने
चाहे युद्ध भले वह हारी है
दुष्टों के संहार हेतू वह
सौ लोगों पर भारी है ।।
ऐसे वीरों से शोभित ,
इतिहास हमारा गौरव है
मान द्रौपदी भंग किया
वह दुष्ट दुशासन कौरव है
तब नष्ट मूल से करने की
द्रौपदी ने मन में ठानी है
फिर क्या होता है मत पूछो
हर होंठ पे यही कहानी है
बाद महाभारत के उसने
केश लहू से संवारी है
दुष्टों के संहार हेतू वह
सौ लोगों पर भारी है ।।
प्रिय ब्लॉगर राजकुमार भाई जी, नारी की महानता को मुखर करती हुई अत्यंत सटीक व सार्थक रचना के लिए आपका हार्दिक आभार.