लघुकथा – गरीबी कर
एक राजा था।उसे आभास हुआ कि एक कुएँ में कुछ लोगों ने अवैध तरीके से गहने छुपा रखे है। उसने अचानक अपने सिपहियों को कुआं खोदने का हुक्म दिया।खुदाई शुरू हुई और अन्ततः कुछ भी हासिल नही हुआ ।राजा को उस खुदाई में हुए खर्च तथा कुएँ को सुदृढ करने में होने वाले खर्च की चिंता हुई ।उसने सलाहकारों से राय मांगी।सलाहकारो ने शायद यह राय दी कि जिन लोगों के पास बहुत गहनें हैं उनके कर में बढोतरी करके भरपाई की जाए पर राजा ने कहा- ”नही, अमीर लोग विद्रोह कर देंगे या फिर किसी अन्य देश भाग जायेंगे।ये कर उनलोगों पर लगाये जाएं जिन्होंने कुएँ में गहने रखे ही नही, क्योंकि अगर वे गहना रखते तो आज मुझे खाली हाथ संतोष नही करना पडता।इतनी फजीहत भी नही होती।सबकी जड़ गरीब हीं है और उस नये कर का नाम रखा गया-“न्यूनतम गहना कर”।
— नवीन कुमार साह