धर्मयुद्ध नव भारत का
पूरी दुनिया नतमस्तक हो , माँ भारती का सम्मान करें
कहो कौन बनेगा नीलकंठ , जो हँस कर के विषपान करे
फिर बाल्मीक आ जाएंगे ,पहले कोई राजा राम मिले
ये धर्म युद्ध नव भारत का ,फिर सारथी न घनश्याम मिले
तो उठो सभी जन बन अर्जुन , गांडीव धरो संग्राम करो
ये समर अधूरा है देखो , मत अभी कोई विश्राम करो
क्यो आँख तरेरे ठाड़े हो , क्यो हाथ बाँध कर क्रुद्ध खड़े
अर्जुन बन लड़ कर विजयी भवः, केशव क्यो तेरा युद्ध लड़े
मानवता के हित हेतु ही , अरि दल का शोणित पान करे
कहो कौन बनेगा नील कंठ, जो हँस कर के विषपान करे ।
मनोज”मोजू”