कविता

तुम्हे पूरा करना चाहती हूँ

तुम्हे पूरा करना चाहती हूँ
लेकिन कैसे करूँ
आज तक किसी का
इश्क पूरा नही हुआ
बस यही सोच सहम सी जाती हूँ
खुद को रोक लेती हूँ
समझा लेती हूँ अपने आप को
अधूरा ही सही साथ तो हूँ
कही पूरा करने मे दूर न हो जाऊँ
यही डर मन में खटकता है
और तुम्हे अधूरा ही छोड़ देती हूँ।
निवेदिता चतुर्वेदी’निव्या’

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४