कविता

हौले हौले से आवाज आयी

हौले हौले से आवाज आयी
न जाने किसके कदमो की आहट
मेरे कानो में समायी
न बादलो का गर्जन
न बिजली की चमक
फिर अचानक
किसको मेरी याद आयी
चॉद भी आज फिका
लगे कुछ उदास जैसा
तारो के झुरमुठो से दूर
झाक रहा है अकेला
फिर कौन चॉद दिख गया
मेरे ऑगन के किनारा
हँसता चेहरा, बिखरा मुस्कान
लो आया मै तुम्हारे पास
नही करना अब कोई
चॉद से शिकायत
क्योकि सब छोड़छाड़
मनाने आया तुम्हारे पास।
निवेदिता चतुर्वेदी’निव्या’

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४